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Wednesday, October 22, 2008

भोर का सपना

टलते टलते लॉन्च के बाद आख़िर आज भारत का मिशन चंद्रयान आज सफल हो गया। भारतीय अन्तरिक्ष विज्ञानियों की अब तक की सबसे बड़ी उपलब्धि के रूप में भारत का पहला मानवरहित अभियान चंद्रयान-1 बुधवार को सुबह 6 बजकर 20 मिनट पर सफलतापूर्वक प्रक्षेपित कर दिया गया। भारत का अब तक का सबसे सफल लॉन्च वाहक पी एस एल वी ११ इसे लेकर आन्ध्र प्रदेश के श्री हरिकोटा के सतीश धवन अंतर्राष्ट्रीय अन्तरिक्ष केन्द्र से लेकर अन्तरिक्ष की ओर रवाना हुआ।

इसके बाद का दृश्य विहंगम था दुनिया भर के वैज्ञानिकों, मीडिया के ब्राडकास्टिंग कक्षों में बैठे तमाम मीडिया कर्मी, अल सुबह उठ कर टेलिविज़न स्क्रीन के सामने आँखें मलते देशवासी और इसरो के नियंत्रण कक्ष में उपस्थित वैज्ञानिक एक साथ तालियाँ बजा कर भारत के ज्ञान और विज्ञान का लोहा मान रहे थे।

इसरो के अध्यक्ष माधवन नायर ने प्रक्षेपण के चंद लम्हों बाद ही कहा कि

पहले चरण का उद्देश्य था कि चंद्रयान सफलता से छोड़ा जा सके और अपनी पहली कक्षा में स्थापित हो। ऐसा हो गया है और हम अपने पहले उद्देश्य में सफल हो गए है.
उन्होंने कहा, चार दिन से हम लोग कुछ प्रतिकूल चुनौतियों से जूझ रहे थे. बारिश, बिजली, तेज़ हवा जैसी चुनौतियाँ भी हमारे सामने थीं. फिर भी हम सफलतापूर्वक चंद्रयान का प्रक्षेपण कर पाए.
उन्होंने इसे ऐतिहासिक क्षण बताते हुए इस अभियान से जुड़े सभी वैज्ञानिकों को इस सफलता पर बधाई दी

चंद्रयान के साथ 11 अन्य उपकरण अंतरिक्ष में भेजे गए हैं जिनमें से पाँच भारत के हैं और छह अमरीका और यूरोपीय देशों के.
वैज्ञानिकों का कहना है कि चंद्रयान को उसकी कक्षा में स्थापित करने के लिए कुल मिलाकर क़रीब 15 दिनों का समय लगेगा.
यह चंद्रयान चंद्रमा की सतह से 100 किलोमीटर ऊपर रहकर चंद्रमा का त्रिआयामी नक्शा तैयार करेगा और उसकी सतह पर मौजूद तत्वों और खनिजों के विवरण एकत्रित करेगा।

चंद्रयान के साथ ही आज सुबह सुबह एक पुराना और बड़ा सपना सच हो गया है.....एक प्राचीन मान्यताओं को समेटे और सहेजे देश, जहाँ आर्यभट्ट ने खगोल के गूढ़ रहस्य सुलझा डाले, वराहमिहिर ने कह डाला जो गैलीलियो ने बाद में बताया.....जहाँ आज भी नदियों को, धरती को और पशुओं को माँ जैसे संबोधन से नवाज़ दिया जाता है ..... जहाँ आज भी लोग दूसरे के दुःख में शरीक हैं .......जहाँ आज भी कितनी गरीबी है वाकई उस मुल्क के लिए यह एक अकल्पनीय स्वप्न के सच होने जैसा है......बड़े बुजुर्ग अक्सर कहा करते थे कि "भोर के सपने सच होते हैं.......आज भोर वाकई एक सपना सच हो गया..........."

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