"हिंद के निवासी और भारत के वासी हम ,
इसका हमें तो अभिमान होना चाहिए ।
काहे भागते हैं अंग्रेजिअत के पीछे हम ,
अपनी गरिमा का हमें ध्यान होना चाहिए ।
बाहरी दिखावा और झूठा बहकावा ये,
इसका न हमको गुमान होना चाहिए ।
दूसरे की भाषा तो है बाद वाली बात,
अरे पहले हिन्दी का पूरा ज्ञान होना चाहिए !" -कवि हिम
बहुत अच्छा लिखा है . भाव भी बहुत सुंदर है. पर्याप्त जानकारी भी है. जारी रखें
ReplyDeleteअनुमोदन करता हूँ आपका !!
ReplyDelete-- शास्त्री जे सी फिलिप
-- बूंद बूंद से घट भरे. आज आपकी एक छोटी सी टिप्पणी, एक छोटा सा प्रोत्साहन, कल हिन्दीजगत को एक बडा सागर बना सकता है. आईये, आज कम से कम दस चिट्ठों पर टिप्पणी देकर उनको प्रोत्साहित करें!!
सुन्दर होंगे देश बहुत से, बहुत बड़ी है ये धरती।
ReplyDeleteपर अपनी माँ अपनी ही है, अमित प्यार जो है करती।।
अच्छा लिखा है। और आपसे सहमत भी है।
ReplyDeletesach likha hai aapne. sandesh bhi achha hai.
ReplyDeletebadhai ho .
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