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Wednesday, September 10, 2008

अंदाज़ ऐ बयाँ

मेरी बातों को हलके में लेने की गुस्ताखी मत कीजियेगा हुजुर हमने आसमानों को सीने में दफ़न कर रखा है

3 comments:

  1. शब्दों मैं वजन है....भाव भी सुंदर है ......बहुत अच्छे

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  2. अच्छी रचना है...बहुत ख़ूब...

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  3. सही है-दफनाये रहिये!!

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