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Friday, September 12, 2008

हिन्दी सप्ताह पर दंभ त्यागें ........

केव्स संचार पर हम हिन्दी सप्ताह मना रहे हैं । मेरे ख्याल से इस हिन्दी सप्ताह में मेरे जैसे जितने भी लोग हिन्दी की उन्नति चाहते हैं, उन लोगों से हिन्दी से प्रेम करने की अपेक्षा करते हैं, जो हिन्दी का महत्व नही समझते । हम इस पूरे सप्ताह उन लोगों को हिन्दी की गौरव शाली परम्परा और महत्त्व सक्म्झाते हैं.....करना भी चाहिए ।


लेकिन मुझे लगता है की हिन्दी के प्रति अज्ञानी और हिकारत का भाव रखने वालों के साथ इस सप्ताह में एक प्रकार के लोग और हैं , जिनकी काउंसलिंग करनी चाहिए ।


वो लोग हैं हिन्दी को लेकर अँधा प्रेम रखने वाले प्रेम । शायद आप सही समझ रहे हैं , मैं ऐसे लोगों की बात कर रहा हूँ जो हिन्दी से इतना प्रेम करते हैं की वो और कोई भाषा सीखना और बोलना ही नही चाहते । अंग्रेज़ी से तो उनकी जैसे खूनी लड़ाई है ।
उनकी हिन्दी प्रेम की कुछ बानगी मैं आपको देता हूँ ....

उनके हिसाब से मेडिकल से लेकर इंजीनियरिंग तक सब किताबें हिन्दी में होनी चाहिए ।

उनके जो दोस्त उनसे अच्छी अंग्रेज़ी बोलते हैं उनके अनुसार वो सभी अंग्रेजों की नाजायज़ औलादें हैं ।

अंग्रेज़ी बोलने वाले देश प्रेमी नही होते ।

हम अंग्रेज़ी नही बोलेंगे क्यूंकि हम हिन्दुस्तानी है।

अंग्रेज़ी का प्रसार अंग्रेजिअत का प्रचार है ।

(कुछ और नमूने और तर्क अगर आप जानते हो या आप के पास का कोई और हिन्दी प्रेमी देता हो तो भेजें )

वास्तव में ये प्रेम नही है , ये हिन्दी को लेकर पला गया एक झूठा दंभ है , जो की अंग्रेज़ी न बोल पाने की कुंठा से उपजा है , हिंदुस्तान में अंग्रेज़ी न बोल पाना कोई गंभीर समस्या नही है , पर उसे सीखने की कोशिश भी न करना ये एक बहुत बड़ी समस्या है। गमभीर उनके बहाने हैं । कथित हिन्दी प्रेमी अपनी कुंठा और निकम्मापन छुपाने के लिए राष्ट्रीयता, संस्कृति, गुलामी की दुहाई देते नही थकते , जबकि हकीकत ये है की इनमे से ज्यादा तर लोग हिन्दी भी सही नही बोल पाते ।

मेरा हिन्दी सप्ताह में उन सभी कथित हिंदी प्रेमियों से विनम्र अनुरोध है की अपने इस प्रकार के दंभ को छोड़े। क्यूंकि हिन्दी को सबसे ज्यादा कष्ट तभी होता है जब कोई अयोग्य व्यक्ति अपनी कमी छुपाने के लिए हिन्दी की महान परम्परा को गिरवी रखता है ।

अंग्रेज़ी सीखने की ज़रूरत है या नही ये अलग विषय है , मेरा आग्रह सिर्फ़ इतना है की अगर आपको अंग्रेज़ी या कोई भी दूसरी भाषा नही आती, तो परिश्रम के साथ उसे सीखे और सामने वाले से कहें की मैं अभी सीखने की प्रक्रिया में हूँ । मनुष्य उम्र भर सीखता है , इसलिए आप ये उत्तर देने में सकुचें नही ,और अगर आप में ये हिम्मत नही है तो कृपया अपनी कायरता और अवगुण का ठीकरा हिन्दी के सर न पटके । इससे हिन्दी की ही नही आपकी उन्नति भी रूकती है .


आपका हिन्दी प्रेम लोग तभी पहचानेगे जब अंग्रेज़ी आने के बावजूद आप हिन्दी में बात करना पसंद करेंगे, जब आपको केवल हिन्दी ही आती होगी और आप हिन्दी में बात करेंगे तब चाहें आप कितने ही बड़े हिन्दी प्रेमी हों, कितने ही गर्व से हिन्दी बोल रहे हों , हिन्दी की परम्परा से लोगों को अवगत करा रहे हों , लोग समझेंगे की हिन्दी में बात करना इसकी मजबूरी है, इसका हिन्दी प्रेम एक दंभ है .............

झूठा दंभ त्यागें और सच्चा प्रेम करें !

4 comments:

  1. जय हिन्दी जय हिन्दुस्तान
    गर्व से कहो हमारी भाषा हिन्दी है
    बधाई .

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  2. सहमत हूँ पर एक तरह के लोग और हैं जो हिन्दी बोलने में हीनता महसूस करते हैं .... महानगरों में ज्यादा हैं उनके लिए कोई उपाय ढूंढ़ना होगा ...... कई ऐसे हैं जो हिन्दी बोलने वालों का उपहास करते हैं उनका भी इलाज ज़रूरी है !

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  3. आप यों ही ये लेख लिखे जा रहे हैं| जिन लोगों की आपने चर्चा की बहुत की कम संख्या में होंगे| उनकी चिन्ता करना बेमानी है| पता नहीं आप लिखने के लिये लिख रहे हैं या आपके पास कुछ संख्यात्मक आंकडे भी हैं| कुछ भी हो ऐसे ही लोगो की भारत में जरूरत है| एक बार और सोचिये ..

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  4. या यूँ कहे की अंग्रेजी भाषा सीखकर भी हिन्दी में बोलने या काम करने में शर्म महसूस न करे ......

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