जैसे कवि को कविता सुनाना एक रोग है
वैसे ही मंच के कवियों पर हमारा यह नया प्रयोग है
यानि की यह कविता है प्रयोगवादी
कवियों के गले मैं फूल मालाओं के स्थान पर
जलती हुई लालटेने लटका दी
श्रोता कवि को हूट करने का नया फार्मूला छोड़ता
लालटेन को गुलेल मारकरजरूर फोड़ता
इसी से प्रेरणा लेकर कुछ कवियों ने
अपने घर से अपनी नेम प्लेट तक हटा दी
और नेम प्लेट की जगह एक लालटेन लटका दी
इसी से प्रेरणा लेकर हमने भी एक लालटेन
अपने दरवाजे पर लटका दी
लटका कर जला दी जलते ही पता नही
किस मनहूस ने आकर बुझा दी
साथ मैंएक पर्ची और चिपका दी
रे कवि प्रयोग वादी तेरा यह लाल्तेनी प्रयोग हमे
बेहद पसंद आया है
सच पूछो तो आज हफ्तों के बाद भी
मिटटी का तेल नही मिल पाया है
ये बात मैं किसी और को नही बताऊँगा
आज का काम तो हो गया
कल फिर आऊँगा
" ha ha what to say, mind blowing"
ReplyDeleteRegards
badiya....bahut accha hai..
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