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Friday, October 10, 2008

मेरी सोच

मन्दिर हिंदू का है और इस्लाम की आयतें मुस्लमान की ऐसी दो राही सोच उन्ही लोगों की होती है जो सिर्फ़ धर्म के नाम पे अपनी आपसी खीज निकलना चाहते है , बहाने से लड़ना जानते हैं पर आगे बढ़के उन कुरीतियों को दूर करने की पहल से हमेशा बचते हैं। मैं हिंदू हं पर मैं मन्दिर भी जाती हं और दरगाह भी पर ध्र्म्नान्तरण की आड़ में एक दुसरे पर छीटा कशी कहाँ तक सही है। किसी मुस्लमान पे ऊँगली उठाने से पहले ये सोचना साथ ही समझना भी ज़रूरी है की अक्सर दूसरो पे वही ऊँगली उठाते है जिनके घर शीशे के होते हैं। एक धर्म तब महान होता है जब वो धर्मों की इज्ज़त करना सिखाये। पिछले हफ्ते से चल रही बहस को जहाँ एक तरफ़ सही मोड़ देना ज़रूरी था वहीँ लोगों को ये समझना भी ज़रूरी हो गया था की ये बहस कॉलेज के दो गुटों की नही जो एक गाली दे तो दूसरा हथियार उठा ले। हिंदू हो या मुस्लमान, जनती और पालती तो दोनों को एक एक माँ ही है ना। कौन हिंदू कौन मुस्लमान कौन इसाई-- क्या धर्म होने से संस्कार बदल जाते हैं, जैसे संस्कार नही बदलते वैसे ही इंसान हो इंसान पे क्यों नही मरते। धर्म की दुहाई तो सब देते हैं। किसी धर्म या जात से इंसान बड़ा नही होता , कर्मों से होता है। क्या हमारे माँ-बाप हमे धर्म के नाम पे लड़ना सिखाते है। जब वो हमे सही राह दिखाते है तो हम अपने अहम् में क्यों एक दुसरे के दुश्मन हो जाते हैं।

रही बात एक वक्त के मेरे बहुत करीबी मित्र नवीन सिंह की
तो क्षमा चाहूंगी नवीन मैं आपसे छोटी हूँ पर ये ज़रूर कहना चाहूंगी कि आज आप ग़लत हैं और मुझे लगता है की आप को इस बात पर विचार और ध्यान देने की ज़रूरत है की किस तरह आप उन गरीब लोगों की व्यथा को एक पत्रकार के नाते दुनिए तक पहुँचा सकें न की कौन पाकिस्तान की राह पर चल रहा है या मिशनरियों का सहायक है इस बात पे ध्यान दे। अक्सर ऐसी बातों से ही ध्यान भटकता है इससे आप उन लोगों की तो मदद करेंगे ही साथ ही अपनी नजाने कैसे संकीर्ण हो चुकी मानसिकता से भी छुटकारा पा पाएंगे। उम्मीद करती हूँ की आप मेरी बातों पे गौर फरमाएंगे।

2 comments:

  1. बिल्कुल गौर फरमाया जाएगा मैडम....अभी तक आपका आदेश नही मिला था इसलिए ये बहस जारी रखी थी.....
    और किसने कहा तुम मुझसे छोटी हो....ऐसे मत बोलो यार मै तो अभी बच्चा हू....
    वैसे अच्छा लगा तुम्हे हिन्दी मे पढकर...
    हिन्दी को ऐसे ही बचाए रखो....
    आपका ऊत्पाती दोस्त....नवीन सिंह...

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  2. शानदार ...... कम शब्द अधिक बात !
    गागर में सागर और उनके लिए जवाब जो कहते हैं की तुम्हारी हिन्दी अच्छी नही है

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