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Sunday, October 26, 2008

तमसो माँ ज्योतिर्गमय !

बेहद उत्साह और खुशी के साथ आज हम दीपावली के अवसर पर सप्ताह भर के आलोकोत्सव के आयोजन की घोषणा करते हैं। अपने निर्माण से लेकर अब तक के सफर में हम अब तक हिरोशिमा सप्ताह से शुरू कर के आतंकवाद के ख़िलाफ़ विशेष श्रृंखला तक के सरोकारों का निर्वहन करते आए क्यूंकि आप सबका योगदान उसमे नींव की ईंट की भांति बना रहा। आज दीपावली पर सप्ताह भर की श्रृंखला प्रारंभ करते हुए भी हम आपसे यही अपेक्षा रखते हैं।

दीपावली पर श्रृंखला प्रकाशित करने का विचार मन में तब आया जब चारों तरफ़ अँधेरा कुछ ज्यादा ही दिखने लगा। चिंगारिया तो थी पर धार्मिक कट्टरपंथ और विद्वेष की.....कहीं ये चिंगारियां एक मुल्क में कई मुल्क बनाने पर आमादा थीं, कहीं आपदा में फंसे लोगों की सहायता में सेंध लगाती, कहीं किसानो की ज़मीन पर राजनीतिक झुग्गियां बसाती तो कहीं धर्म के नाम पर खून से तिलक करती और वजू करती ..........! फिर लगा कि नहीं ये चिंगारियां रौशनी नहीं कर सकती ये तो घर जला डालेंगी और घर जला कर भी भला कहीं रौशनी की जाती है ?

तब विचार और सुझाव की प्रक्रिया चालू हुई और सहमती बनी कि शायद या मौका उत्तम है जब रौशनी का आह्वान किया जाए ...... घरों के चिराग बुझाने की जगह दिलों में चिराग जलाने की बात की जाए !

हमारे लिए यह पर्व किसी धर्म का नही पर अधर्म के ख़िलाफ़ लड़ाई का ज़रूर है .... हमारे लिए ये पर्व है आलोक का जिसकी एक किरण गहरे तम् को चीरते हुए अपनी अलग जगह बना लेती है ..... ये लड़ाई है दिए की हवा से कि भले ही बुझना है पर जितनी देर जलना है .... अंधेरे को छाने नहीं देना है !
यह जीत है सुबह की कि रात भले ही कितनी काली हो सुबह को आने से रोक नहीं सकती है !
यह कामना है कि जितने अंधेरे जीवन हो ..... सब रोशन हो उठे !

यह विशवास है कि सच्ची रौशनी जलाने से नहीं ख़ुद जलने से होती है ......
यह संदेश है कि रौशनी अपनी राह ख़ुद ढूंढ लेती है
यह इतिहास है कि जब तक दुनिया में अँधेरा है तब तक रौशनी उसके ख़िलाफ़ लडेगी
यह प्रण है कि हमें जो रौशनी में हैं ...... उनको उजाले में लायेंगे जो अंधेरे में गुम हैं ...............
यह रास्ता है जो ले जाता है अज्ञान- से ज्ञान की ओर !
यह उम्मीद है कि इस दीपावली उन दिलों में में मोहब्बत रोशन होगी जहाँ नफरत के अंधेरे पसरे हुए हैं .....
आइये आज जलते दीयों की जगमग शिखाओं को साक्षी बनाकर एक कसम खाएं ....
कि अगर पड़ोसी के घर अँधेरा है
और अपने घर दो दिए जलते हैं
तो चलो एक दिया
पड़ोसी के घर
रख चलते हैं
अगर
अपने घर भी केवल एक ही
दिया जले
तो उसको
दोनों घरों के बीच रख चलें .......

इसी के साथ हमें शुभारम्भ करते हैं CAVS संचार पर ज्योति के अनुपम प्रसार पर्व के आयोजन "आलोकोत्सव" का इसी छोटी सी प्रार्थना के साथ .....
मेरे मन के अंध तमस में ज्योतिर्मय उतरो ....... !!

आप सभी आमंत्रित हैं हमारे परिवार संग दीवाली मनाने को ......
ई मेल करें cavssanchar@gmail.com

3 comments:

  1. आयोजन होने की जानकारी देने के लिए धन्यवाद्.

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  2. दिपावली की शूभकामनाऎं!!


    शूभ दिपावली!!


    - कुन्नू सिंह

    ReplyDelete
  3. ख्वाब उजाले के, ज़माने में ,
    अंधेरे में भी पलते हैं |
    चलो दियों से कुछ सीखें ,
    जो दूसरों के लिए ही जलते हैं |

    अगर पड़ोसी के घर अँधेरा है ,
    और अपने घर दो दिए जलते हैं |
    तो चलो अंधेरे में एक दिया ,
    रखने पड़ोसी के घर चलते हैं |

    ReplyDelete

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