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Sunday, October 19, 2008

एक पाठक की ई मेल ...

केव्स संचार के नियमित पाठकों में से हैं अनुपम अग्रवाल जी। पेशे से इंजिनियर अनुपम जी उत्तर प्रदेश के अनपरा में कार्यरत हैं। केव्स संचार में गत दिनों चल रही बहस पर इन्होने अपने विचार हमें ई मेल किए और यह सुझाव दिया की क्यों नहीं हम पाठकों का कोना नाम से एक लिंक स्तम्भ प्रारंभ करें जिनमे कुछ वाकई बढ़िया, सटीक, दिलचस्प और चुनिन्दा पत्रऔर टिप्पणिया शामिल करें।यहाँ से विचार पैदा हुआ जनता जनार्दन का !
फिलहाल हम इस स्तम्भ की शुरुआत करने का वादा पूरा करते हुए अनुपम जी की यह ई मेल प्रकाशित कर रहे हैं ...... अनुपम जी का ब्लॉग है..... http://www.aapkesamne.blogspot.com/

अनुपम जी ने यह पत्र नवीन जी की एक पोस्ट पर प्रतिक्रिया स्वरुप लिखा है।

प्रिय मित्र
हम सभी आपसे सहमत हैं कि रास्ट्रीय एकीकरण को प्राथमिकता होनी चाहिए मुझे भी लगता है कि बजरंग दल का निर्माण राम जानकी रथ की सुरक्षा के लिए किया गया था ।आपकी बात शत प्रतिशत सही भी हो सकती है परन्तु यह भी तो सोचें कि इस सब कामों से चाहे वोह बजरंग दल करे या सिमी , इस देश के लोगों का कोई भला नहीं होने वाला है माफ़ी चाहूँगा पर समाज के स्तम्भ कहे जाने वाले , सबसे बड़े जानकर और निर्णयकर्ता पत्रकार ख़ुद हैं।लेकिन यह निष्कर्ष ''ईसाइयों के खिलाफ हिंसा भड़काने में सबसे बड़ा हाथ कांग्रेस का है '' पूर्वाग्रह ग्रसित भी हो सकता है ।और किसी भी तरह की गैर जिम्मेदारी देश के लिए घातक भी हो सकती है हमारा प्रस्ताव होना चाहिए कि हिंदू मुस्लिम सिख ईसाई का झगडा ख़त्म कर नए नजरिये से सोचना चाहिए।इस भावना से कि राष्ट्र का और राष्ट्र के लोगों का भला हो तो सबसे पहले जितने विवादित स्थल हैं, वहां विश्वविद्यालय या विश्व स्तरीय चिकित्सालय खुलवाने चाहिए ताकि समाज के ठेकेदार ,धर्म के नाम पर लोगों को भड़का कर , आगे अपना उल्लू सीधा न कर पायें ।मेरा अनुरोध है कि इस राष्ट्र के कल्याण का दम भरने वाले सभी राष्ट्रवादी संगठन इस काम में आगे आयें और अपनी असीम उर्जा को रचनात्मक कार्यों में लगायें.

आपका
अनुपम अग्रवाल

1 comment:

  1. अनुपम जी प्रणाम...
    आपने जो बात कही वह शत प्रतीशत सही है...मगर जो आप कह रहे है की सभी धर्मो को एक चश्मे से देखना चाहिए ईससे भी मै सहमत हू...पर ऐसी जुमलेबाजी पिछले 60 वर्षो से हो रही है और परिणाम के नाम पर कुछ नही केवल हिंसा और मौते दिखायी दे रही है...और आपके जैसे कितने ही विचारक इस समस्या को दूर करने का प्रयास कर रहे है...
    पर मुझे लगता है कि अब इस सोच और इस विचारधारा को कुछ दिन के लिए आराम दे देना चाह्ए...और क्रांतीकारी कदम उठाना चाहिए...
    मै गलत हू,मेरी सोच गलत है ये मुझे पता है पर फिर भी मै ऐसा सोचने और ऐसा करने के लिए प्रतीबद्ध हू...
    आपका प्रेम भरा जवाब आया इसके लिए आपका धन्यवाद...ऐसे ही जुडे रहिए और प्रतीक्रिया देते रहिए सीखने को मिलता रहेगा...प्रणाम...

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