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Saturday, September 20, 2008

खुदकुशी की कतार में हैं लाखों किसान

अम्बरीष कुमार (http://www.virodh.blogspot.com )

सेवा ग्राम।।वर्धा।। गांधी की इस कर्म भूमि से किसान चल कर दो अक्टूबर को दिल्ली में मार्च करेंगे। सेवा ग्राम में महात्मा गांधी का आज भी वह चर्खा रखा हुआ है। जिसनें आजदी के आंदोलन को धार दी थी। उस चरखे के लिये कपास यहीं विदर्रभ के किसान देते थे। पर आज विदर्रभ के किसान केन्द्र और राज्य सरकार के किसान विरोधी नीतियों के चलते मौत को गले लगा रहे हैं। प्रधान मंत्री मनमोहन सिंह की कर्ज माफी की घोषणा के बाद पिछल्ले छह महीनों में अब तक पांच सौ चौवन किसान खुदकशी कर चुके हैं। औसतन तीन किसान रोज खुदकशी कर रहे हैं। पिछले वर्ष बारह सौ अड़तीस किसानों ने खुदकशी की थी। चौबीस घंटे पहले सत्तर दरा थाने के महाकाली नगर में कर्ज से डूबे एक किसान देवराम महादेवराव वैद्य ने खुदकुशी कर ली। मरने वाला किसान कर्ज में डूबा हुआ था। और उसकी आठ एकड़ जमीन कारगो हब में चली गयी थी। विदर्रभ में किसान दो तरफा लड़ाई लड़ रहे हैं। एक तरफ एस ईजेड के तहत किसानों की खेती की भूमि को अधिग्रहण करने की कोशिश हो रही है। तो उसके खिलाफ किसान कारबो सिलिंग अन्याय विरोधी समिति बनाकर बाबा दाबरे के नेतृत्व में लड़ाई लड़ रहा है तो दूसरी तरफ कपास किसानों को संगठित करने का बीणा किसान मंच और जनमोर्चा के नेता प्रताप गोस्वामी ने उठा रखा है। विदर्रभ के करीब दजर्न जिलों में किसानों को एक जुट करने का काम काफी समय से चल रहा है। यहीं के किसान आगामी दो अक्टूबर को दिल्ली में मार्च भी करेंगे। विदर्भ में किसानों को संगठित करने का प्रयास करीब डेढ़ साल पहले पूर्व प्रधान मंत्री विश्वनाथ प्रताप सिंह के पुत्र अजय सिंह ने किया था। उन्होंने विदर्भ क्षेत्र में ललित रुंडवाल के जरिये खुदकुशी कर रहे किसानों के लिये वैकल्पिक उपायों पर गौर करना शुरू किया। दूसरी तरफ किसानों की मांगों को लेकर स्थानीय स्तर पर प्रतिरोध भी शुरू किया। यही वजह है कि आज यवकमाल, अकोला, वर्धा, अमरवती, बुलढाना, वासिंम, भंडारा, गोंडिया और नागपुर जसे जिलों में किसानों का प्रतिरोध रंग लाता नजर आ रहा है। आज दोपहर बाद घाटन जी तहसील के नगर पंरिषद हाल में बड़ी संख्या में किसान इक्ट्ठा हुये। जो दूर दराज के गांवों से आये थे। और किसान मंच को अपनी व्यथा बता रहे थे। किसानों को सम्बोधित करते हुये दादरी आंदोलन पर जुड़े रहे जनमोर्चा के राष्ट्रीय महासचिव विनोद सिंह ने कहा ह्लअब आपको लम्बी लड़ाई के लिये तैयार हो जना चाहिये। खुदकुशी करना किसी समस्या का समाधान नहीं है। हम इस मुद्दे को लेकर राज्य से लेकर केन्द्र सरकार के सामने किसानों का पक्ष पूरी ताकत से रखेंगे। दो अक्टूबर को अन्य किसानों के साथ विदर्रभ के किसान भी तीन मूर्ति से राजघाट तक मार्च करेंगे। आप सभी लोग इस कार्यक्रम में पूरी ताकत के साथ हिस्सा लेंग इस सभा में ज्यादा तर किसानों ने पत्र लिखकर सरकार से गुहार लगायी है कि कर्ज माफी के लिये ठोस कदम उठाये जयें। वरना किसानों की खुदकुशी का सिलािसला रूकने वाला नहीं है। इस बैठक में आई सीताबाई लक्ष्मनराला, ने कहा कपास लगाने में दो से ढाई हजर प्रति कुंतल लागत आती है। परकीमत मिलती है उन्नीस सौ से दो हजर रूपये कुंतल। अब क्या करें कपास लगाने वाला किसान कर्ज के बोङा में डूबा ज रहाहै। और खुदकुशी करने को मजबूर है दड़पापुर गांव के कपास किसान अमर नाथ विश्वनाथ नागराणो ने कहा ह्लकपास किसानों के लिये राहत का पैकेज और कर्ज माफी की घोषणा का कोई असर नहीं पड़ रहा है। राहत पैकेज गांव के किसानों तक पहुंचा ही नहीं है। और कर्ज माफी का फायदा बड़े और सम्पन्न किसान ले रहे हैं। कर्ज माफी का फायदा सांसद से लेकर विधायक तकउठा रहे हैं। पूर्व सांसद उत्तम राव पाटिल, विधायक संजय देशमुख, पूर्व मंत्री शिवाजीराम मोगे, पूर्व विधायक वामन राव कासावार और कांग्रेस नेता सुरेश लोनकर का नाम तो सार्वजनिक हो चुका है। दूसरी तरफ हमारे गांव का किसान कर्ज माफ न होने की वजह से आत्म हत्या कर रहा हैगौरतलब है कि आये दिन विदर्रभके ग्यारह जिलों में खुदकुशी की रोज खबरें आती रहती हैं। वर्धा से यवत माल की तरफ बढ़ते ही एक तरफ कपास के हरे भरे खेत दिखायी पड़ते हैं। तो दूसरी तरफ गरीब और बदहाल किसानों के गांव। जहां दो जून खाने को बड़ी मुश्किल से मिल पाता है। शिवनी गांव के दौलत सरदार राठौर ने कहा ह्लकर्ज माफी की घोषणा हवाहवाई है। कहने को सरकार ने कर्ज माफ कर दिया। पर उसका कोई फायदा किसानों को नहीं मिल रहा है। जो राहत पैकेज आयाहै। उसका फायदा नेता और सांसद लोग उठा रहे हैं। घाटन जी से आगे बढ़ने पर किनी गांव आता है वहां पर करीब कुछ दिन पहले ही एक किसान ने खुदकुशी कर ली थी। घर पर उसकी पत्नी मिलती है सावित्रा, दो बेटियां और एक बेटा है। सावित्री ने कहा हमारा आदमी कज्र लिये था। पच्चीस फीसदी महीने के ब्याज पर पंद्रह हजर रूपये कर्ज नहीं चुका पाया। इसलिये जहर खा लिया। हम भी कर्ज पर ही चल रहे हैंह्व यह कुछ घटनायें हैं जो विदर्रभ के किसानों की दयनीयदशा को दर्शाती हैं। दिल्ली में जो घोषणा की जती है वह विदर्रभ के गांवों तकतो नहीं पहुंचती। मनमोहन सिंह कर्ज माफी की घोषणा पर अपनी पीठ भले थपथपा दें। पर ये ध्यान रखना चाहिये कि उनकी घोषणा के बाद पांच सौ चौवन किसान खुदकुशी कर चुके हैं। और सैकड़ों किसान खुदकुशी की कतार में हैं।

4 comments:

  1. बहुत सही लिखा अम्बरीश जी ने।

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  2. हमारे देश में करप्शन की सारी हदें पार हो चुकी हैं..मज़हब, क्षेत्र और भाषा के नाम पर तुच्छ राजनीति करने वाले .हमारे नेताओं को किसानों की तकलीफें नज़र नहीं आतीं...

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  3. बिल्कुल सही लिखा!!

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  4. आतंक हटाओ देश बचाओ.

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