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Saturday, September 20, 2008

किसी को कुर्बानी देनी होगी

केव्स के इस ब्लॉग में मेरी यह पहली कविता है .... इस हेतु क्षमा .... (इतना विलंब होने के कारण )

यह कविता मन की करुणा ने लिखी है आए दिन होते कत्ले आम बम विस्फोट से आख़िर ये लोग क्या हासिल करना चाहते है ये मेरी समझ से परे है ......

आज अपनों से ने रुला दिया है फिर मुझे ,

वह घाव जो भर रहा हा था हरा हो गया है फिर से

मै ख़ुद से पूछता हूँ ,क्यो आदमी स्वार्थी हो गया ?

मै दिल से आज रोता हूँ ,क्यो समाज ऐसा हो गया ?

मै गम का घूंट पिता हूँ, क्या इमान सबने बेच दिया ?

मै फ़िर आज मरता हूँ,क्यो इन्सान पराया हो गया ?

क्यों फ़िक्र नही किसी को देश की ?

क्यों याद नही किसी को देश की?

कहाँ चरम है इस स्वार्थ का ?

क्या लक्ष है इस इमान का ?

पर न चलेगा काम ऐसे ,इन्सान को अंगडाई लेना होगी

न बदलेगा मनुज ऐसे ,किसी को कुर्बानी देनी होगी

किसी को कुर्बानी देनी होगी ...................??????????

4 comments:

  1. उम्दा अभिव्यक्ति!!

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  2. किसी को कुर्बानी देनी होगी ...................??????????

    " bhut acche rachna dil ke dard ko byan kertee..."

    Regards

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  3. आतंक हटाओ देश बचाओ.

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